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Chaukori hill station: उत्तराखंड में हिमालय दर्शन की सबसे खास जगह है चौकोड़ी …

Chaukori hill station of Pithoragarh uttarakhand

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Chaukori hill station: उत्तराखंड में हिमालय दर्शन की सबसे खास जगह है चौकोड़ी …

Chaukori hill station uttarakhand: कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है खूबसूरत पर्यटन स्थल चौकोड़ी, कर सकते हैं हिमालय की हिमाच्छादित खूबसूरत चोटियों के दीदार…

Chaukori hill station uttarakhand
वैसे तो उत्तराखण्ड के सभी पर्वतीय क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य के धनी हैं परन्तु इनमें से ऐसे बहुत सी खूबसूरत जगहें हैं जहां देश विदेश के सैलानी आए दिन पहुंचते रहते हैं। आज हम आपको कुमाऊं मंडल में स्थित एक ऐसे ही पर्वतीय क्षेत्र के दीदार कराने जा रहे हैं जहां से आप न केवल नन्दा देवी, नंदा कोट, और पंचाचूली पर्वत श्रंखलाओं के सुन्दर दृश्य देख सकते हैं बल्कि यहां की मशहूर चाय का आनंद भी ले सकते हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं खूबसूरत पर्यटन स्थल चौकोड़ी की, जो उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ ज़िले की बेरीनाग तहसील में स्थित एक बस्ती है। बता दें कि यह समुद्र तल से 2010 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 309ए पर बेरीनाग से 10 किलोमीटर की दूरी पर है। आम सैलानियों के लिए चौकोड़ी भले ही यह काफी कम पहचानी जाने वाली जगहों में शुमार हो परन्तु प्रकृति, पहाड़ और हिमालय प्रेमियों के लिए ये हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
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Chaukori hill station Pithoragarh: ये है चौकोड़ी का पौराणिक इतिहास, पुराणों में आता है नाग वंश का जिक्र (History of chaukori)…

Chaukori hill station Pithoragarh
बता दें कि इस खूबसूरत जगह पर आप न केवल अपनी जिंदगी के सुकून भरे पल बिता सकते हैं बल्कि यहां की शांत एवं मनमोहक वादियां पल भर में ही आपके तनावपूर्ण जीवन से मुक्त करने की भी सामर्थ्य रखती है। यहां आकर आप खुद को तरोताजा महसूस कर सकते हैं और आप में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। वैसे चौकोड़ी के इतिहास के बारे में उतनी प्राचीन जानकारी तो नहीं मिलती हैं परंतु पुराणों के मुताबिक बेरीनाग के आसपास का यह पूरा क्षेत्र नाग वंश के लोगों का निवास स्थान था। यह महाभारतकालीन कथाओं का भी हिस्सा रहा है। स्कन्दपुराण के मानस खंड में, सरयू और पूर्वी रामगंगा के मध्य बसें इस क्षेत्र‌ को नागगिरि के नाम से संबोधित किया गया है जिसे अष्टकुल नागों का निवास स्थान बताया गया है। कहा जाता है कि द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना नदी में कालिया नाग का मर्दन किया था, तो श्रीकृष्ण के आदेश पर उसने विस्थापित होकर चौकोड़ी के ठीक सामने अवस्थित कालीनाग पर्वत पर अपना डेरा डाल लिया था। यहां से करीब 15 किमी दूर बय्यू गांव में कालिया नाग की रानियों का निवास स्थान बताया जाता है, यह कालीनाग पर्वत की तलहटी में थल कस्बे के पास स्थित है।
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Chaukori tourist place Pithoragarh: आज भी यहां की जाती है नाग वंश की पूजा, विराजमान हैं नागों को समर्पित क‌ई मंदिर…

Chaukori tourist place Pithoragarh
इस क्षेत्र में नागों के आधिपत्य के उदाहरण इससे भी मिलते हैं कि चौकोड़ी से 20 किलोमीटर की परिधि में हर पर्वत शिखर पर एक नाग मंदिर स्थित है। शिखर पर्वत पर मूलनारायण नाग, कालीनाग पर्वत पर कालियानाग, विजयपुर में धौली नाग, कमेड़ी देवी में पिंगलनाग, कांडा में फिणनाग, कोटमन्या में बासुकीनाग के मंदिर हैं। इसके साथ ही बेरीनाग के नाम से मशहूर यहां के तहसील क्षेत्र का प्राचीन नाम बेड़ीनाग है, इसके अतिरिक्त गंगोलीहाट में स्थित विश्व विख्यात पाताल भुवनेश्वर गुफा को शेषनाग से जोड़ कर देखा जाता है। इतना ही नहीं यहां नागों की आराध्य देवी त्रिपुरसुंदरी देवी का मंदिर भी हैं जो चौकोड़ी के राईआगर रोड पर स्थित है। आज भी इस पूरे क्षेत्र में नाग पंचमी के अतिरिक्त चैत्र और शारदीय नवरात्र में मंदिरों में विधि-विधान से नागों की पूजा-अर्चना की जाती है।
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Chaukori tourist place uttarakhand: अंग्रेजों ने किया था इसका सर्वाधिक विकास, यहां के चाय बागान से उत्पादित चाय की देश विदेश में थी भारी मांग….

Chaukori tourist place uttarakhand
ये तो रही पौराणिक मान्यताओं की बात आधुनिक भारत में चौकोड़ी का जिक्र इतिहास के पन्नों में उस समय से शुरू होता है जब अंग्रेजों ने सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। उस दौरान इस भूभाग को चाय बागान के रूप में विकसित किया जो कालांतर में छोटा शहर बन गया। कहा जाता है कि अंग्रेजों के साथ ही अन्य विदेशी लोग भी यहां की जायकेदार चाय का लुत्फ उठाने आते थे। अपनी अलग महक और स्वाद के कारण विदेशों में भी इसकी खासी मांग थी। कहा जाता है कि यहां के चाय की खुशबू दर्जीलिंग की चाय को भी टक्कर देती थी। यहां आज भी चाय के बागान स्थित है, आज भले ही चौकोड़ी में उत्पादित होने वाली यह चाय सरकारी उपेक्षा के चलते वैश्विक बाजार में अपना वर्चस्व खो चुकी हैं लेकिन यहां के बागानों में उम्दा किस्म की चाय आज भी पैदा की जाती है। बात अगर इस पर्यटन स्थल की खूबसूरती की करें तो यह पूरा क्षेत्र बांज, चीड़, बुरांश, ओक, देवदार के घने जंगलों से आच्छादित है। यहां चाय के बागान के अतिरिक्त फलों के बगीचे भी है।
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Pithoragarh best tourist place: ये है चौकोड़ी के आसपास स्थित खूबसूरत पर्यटन स्थल, घूमने के साथ ही ले सकते हैं सूर्योदय और सूर्यास्त के दिलकश नज़ारे का आनंद….

Pithoragarh best tourist place
बता दें कि चौकोड़ी से हिमालय की विस्तृत श्रृंखला काफी करीब दिखाई पड़ती है। यहां से आप हिमालय में स्थित क‌ई पर्वत चोटियों यथा पंचाचूली, नन्दाकोट, त्रिशूल, थरकोट, मैकतोली और नन्दादेवी की चोटियों के हिमाच्छादित दृश्यों को देखकर कुदरत की इस अनुपम देन का आनंद लें सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहां आप दुनिया के सबसे बेहतरीन सूर्योदय और सूर्यास्त का भी नजारा देख सकते हैं। बताते चलें कि सूर्योदय और सूर्यास्त के दिलकश नज़ारे के अलावा चौकोड़ी में सितारों से ढंका नीला आसमान भी काफी मनमोहक दिखाई देता है। बात रात की करें तो रात को चौकोड़ी का आसमान सितारों से आच्छादित ऐसा लगता है मानो अलौकिक आकाशगंगाओं से लिपटा हुआ है। खासतौर पर यहां आने का बेहतरीन मौसम सर्दियों का है क्योंकि उस वक्त आपको यहां चारो ओर आपको बर्फ की चादर में लिपटा हुए अनेकों मनोरम दृश्य देखने को मिलेंगे। बात चौकोड़ी के आसपास स्थित घूमने लायक जगहों की करें तो इसके आसपास चौकोड़ी बुब्बू का मंदिर, पाताल भुवनेश्वर, नकुलेश्वर मंदिर, अर्जुनेश्वर शिव मंदिर, नाग मंदिर, कपिलेश्वर महादेव, हाट कलिका मंदिर, पाताल भुवनेश्वर, चिन्नेश्वर वॉटरफॉल, नागदेवता मंदिर, धरमघर, कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र, कोटगाड़ी, सानी उडियार, सनगाड, शिखर भनार के मूल नारायण मंदिर भी जा सकते हैं, जो यहां से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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सुनील खर्कवाल लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और संपादकीय क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं।

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