Dunagiri temple dwarahat history: माता वैष्णो देवी का ऐसा शक्तिपीठ जहां मन्नत मांगकर होती है हर मुराद पूरी
Dunagiri temple Dwarahat History: जम्मू कश्मीर के वैष्णों माता मन्दिर के बारे मे तो सभी लोग जानते ही होंगे यह बहुत से प्रसिद्ध मन्दिरों मे से एक है| ठीक उसी प्रकार उत्तराखंड में भी वैष्णों माता मन्दिर स्थित जिसके बारे मे बहुत कम लोगों को पता होगा या कम लोगों को जानकारी होगी |आज हम आपको जम्मू वाले नही बल्कि उत्तराखंड वाले वैष्णों मन्दिर के बारे मे जानकारी देने वाले है|
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आज हम जिस मन्दिर की बात कर रहे है वह मन्दिर कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जनपद मे पड़ता है जो द्वाराहाट क्षेत्र से 14 किलोमीटर दूरी पर पड़ता है| जहां नव विवाहित वर वधू शादी के बाद अपने सुखद जीवन की मनोकामना के लिए जाते हैं। बताते चलें कि यह मन्दिर द्रोण पर्वत पर स्थित है और माता दुर्गा को समर्पित है। माँ दूना गिरी मंदिर को द्रोणागिरी के नाम से भी जाना जाता है ऐसा कहा जाता है कि यहां पर द्रोणाचार्य ने तपस्या की थी| दूना गिरी मंदिर के पीछे एक और कथा हैं कि जब हनुमान जी लक्ष्मण के लिए ‘संजीवनी बूटी’ लेकर पर्वत ले जा रहे थे, तो उसका एक टुकड़ा यहां गिर गया और उस दिन से इस स्थान को ‘दूनागिरी’ (‘गिरि’ का अर्थ गिरा हुआ) के नाम से जाना जाता है। दूना गिरी का जिक्र स्कंद पुराण में भी किया गया हैं|
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मनोकामना होती है यहाँ पूरी
ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से आता है उसकी मनोकामना आवश्यक पूरी होती है| दूना गिरी मंदिर में नि संतान महिलाएं जाकर अखंड जोत जलाती है उसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। सभी भक्तों का यहां माता पर पूरा विश्वास होता है जब उनकी मनोकामना पूरी होती है तो कोई यहां पर घण्टी या तो कोई चांदी का छतर माता की दरबार में चढ़ाता हैं| धार्मिक दृष्टिकोण से, कई लोग मानते हैं कि वैष्णो देवी मंदिर में मां वैष्णवी के दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह आध्यात्मिक अनुभव की एक रूपरेखा है जिसमें श्रद्धालुओं को आशीर्वाद और संतुष्टि मिलती है। इसके अलावा, यहाँ पर्यटक भी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए आध्यात्मिक संयम और शक्ति की प्राप्ति के लिए यहाँ आते हैं।
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