Dhari Devi Story Hindi: मां धारी देवी अपनी अलौकिक शक्तियों की वजह से कहलाती है उत्तराखंड की रक्षक देवी जानिए उनसे जुड़ी विशेष कहानी
Dhari Devi temple Uttarakhand: माँ धारी देवी का मन्दिर श्रीनगर गढ़वाल से 15 km की दूरी पर स्थित है और मन्दिर अलकनंदा नदी के बीचों बीच मे स्थापित हैं। धारी देवी मन्दिर चारों तरफ से पर्वत से घिरा हुआ है यह मन्दिर मोटे बीमो पर खडा हैं| धारी देवी मन्दिर का रहस्य बहुत ही रोचक तथ्यों मे से एक हैं ऐसा माना जाता है कि मन्दिर मे स्थापित मूर्ति एक दिन मे तीन बार अपना रूप बदलती हैं , सुबह मूर्ति कन्या का रूप धारण करती हैं दिन मे युवती का और शाम को एक बुढी महिला का रूप धारण करती हैं लोगों को भले ही इस बात पर यकीन ना हो लेकिन यह बात सच हैं | मां धारी देवी को चारों धामों की रक्षक देवी भी माना जाता है यह मंदिर माता काली को समर्पित है|
यह भी पढ़ें- देवभूमि उत्तराखंड में माता का ऐसा मंदिर जहां कोई नहीं कर सकता मां के दर्शन आंखों पर रहती है पट्टी
मां धारी देवी की कहानी (Dhari Devi Story Hindi:) ऐसा कहा जाता है, कि माँ धारी देवी सात भाइयों की इकलौती बहन थीं। बचपन में ही माता पिता के देहांत के बाद सातों भाइयों ने धारी देवी की देखरेख की। वह भी अपने भाइयों की खूब सेवा करती थीं। तभी भाइयों को पता चला, कि उनकी बहन के ग्रह भाइयों के लिए खराब हैं, तो तब से वह अपनी बहन से नफ़रत करने लगे,जब वह कन्या 13 साल की थी| तो उसके पांच भाइयों की मृत्यु हो गई थी और बचे हुए दो भाइयों को लगा कि इसी बहन के ग्रहों के कारण भाइयों की मृत्यु हो गई है, फिर उन्होंने रात्रि के समय में कन्या की हत्या कर दी और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया| सिर और धड़ को नदी में बहा दिया, कन्या का सिर बहते हुए दूर धारी गांव में पहुंच गया और तभी प्रातः काल के समय नदी किनारे एक व्यक्ति कपड़े धो रहा था उसे लगा कि एक कन्या डूब रही है| तो उसने उसे बचाने का प्रयास किया| परंतु पानी बहुत था इसलिए पीछे हटा तभी उस सिर में से आवाज आई कि डर मत मुझे बचा तू जहां जहां पैर रखेगा वहां पर सीढ़ियां बनती जायेंगी,उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और सीढ़ियां बनती गई, जैसे ही उसने कन्या समझकर सिर को उठाया तो कटा सिर देखकर घबरा गया| फिर सिर पर से आवाज आई कि मैं देवी रूप में हूं तू मुझे किसी पवित्र स्थान पर पत्थर के ऊपर स्थापित कर दे, व्यक्ति ने वैसा ही किया तब देवी ने उसे सारी बात बताई और पत्थर में परिवर्तित हो गई|
यह भी पढ़िए: Surkanda Devi Story Hindi: उत्तराखंड में माता सती का नाम कैसे पड़ा सुरकंडा देवी?
धारी देवी का रौद्र रूप:-
वैसे तो धारी देवी माता चारों धामों की रक्षक देवी मानी जाती है लेकिन जब भी माता की मूर्ति को स्थापित करने की बात आती है तो वह कभी भी अपना रौद्र रूप ले सकती है, ऐसे ही रौद्र रूप माता का तब देखने को मिला जब डैम बनना था तो मंदिर को स्थापित करने के बात की जा रही थी ये बात 2013 की जब उत्तराखंड मे भीषण आपदा आई थी ऐसा माना जाता है उस समय मूर्ति को उसके मूल स्थान से जैसे ही हटाया गया वैसे ही माँ धारी ने अपना विकराल रूप धारण कर तबाही मचाना शुरू किया | कुछ चीज़ेे जहा पर स्थित है जरूरी नही उनमें अपने फायदे के लिए छेड़ छाड़ की जाए वरना विकास को विनाश मे बदलने मे देरी नही लगती |
यह भी पढ़ें- कुमाऊं के सिद्ध पीठों में एक और हल्द्वानी के रक्षक कालू सिद्ध बाबा से जुड़े कुछ विशेष तथ्य