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उत्तराखंड: पहाड़ो में सर्दियों के दिनों में खाये जाने वाले ये भोज्य पदार्थ औषधी से कम नहीं

Uttarakhand Winter food items
फोटो: सोशल मीडिया

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उत्तराखंड: पहाड़ो में सर्दियों के दिनों में खाये जाने वाले ये भोज्य पदार्थ औषधी से कम नहीं

Uttarakhand Winter food items: पहाड़ों में सर्दियों में भोजन का आनंद बढ़ाते हैं ये खाद्य पदार्थ, स्वाद के साथ ही औषधीय गुणों से भी हैं भरपूर, जानिए इनके बारे में….

Uttarakhand Winter food items
उत्तराखंड एक ऐसा प्रदेश है जहां कड़ाके की ठंड होती है और सर्दियों में इस प्रदेश में ठंड तब और भी बढ़ जाती है जब बर्फबारी होना शुरू हो जाती है। ऐसे में प्रदेश में सर्दियों में कुछ विशेष प्रकार के भोज्य पदार्थों का सेवन किया जाता है जो खाने में गर्माहट के साथ- साथ पौष्टिक तत्वों से भरपूर और शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। ये भोज्य पदार्थ इस प्रकार से हैं।
(1)फाणू (Faanu):- यह अधिकतर ठंडियों में खाया जाने वाली एक पहाड़ी ट्रेडिशनल भोजन है। जो स्वाद के साथ साथ सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे गहत की दाल से बनाया जाता है जिसके लिए सर्वप्रथम गहत की दाल को 5/6 घंटे पानी में भिगोकर रखा जाता है और उसके बाद सिलबट्टे में पीसा जाता है और तब चूल्हे में प्याज टमाटर के साथ बनाया जाता है। चूल्हे में बनाया जाने के कारण यह और भी स्वादिष्ट होता है और यह अधिकतर चावल के साथ खाया जाता है।
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(2) मडुवे की रोटी:- (Maduve Roti) जिस प्रकार शहरों में बाजरे की रोटियां खाई जाती है ठीक उसी प्रकार पहाड़ों में भी मंडवे की रोटी काफी मशहूर है। यह उत्तराखंड की एक पौराणिक ट्रेडिशनल भोजन है जो सेहत के लिए सबसे अधिक फायदेमंद होता है और इसे गरमागरम रोटियों के साथ मक्खन या घी लगाकर खाया जाता है। यह शरीर को गर्माहट देता है इसलिए यह ठंडियो में खूब खाई जाती है।
(3) बाड़ी ( Badi):- यह अधिकतर मंडूवा कोदे से बनाया जाने वाला एक खट्टा मीट्ठा हलवा है जो सर्दियों में खूब खाया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है और यह शरीर को तुरंत गर्माहट देता है। इसे बनाने के लिए सर्वप्रथम कोदे या मंडुवे के आटे को चूल्हे पर गर्म पानी के साथ मिलाकर एक साथ पकाया जाता है। तत्पश्चात् इसे गाड़ा होने तक पकाए जाता है और इसमें कुछ लोगों द्वारा नमक तो कोई मीठे का इस्तेमाल करता है। इसे खासकर लोहे की कढ़ाई में ही बनाया जाता है।
(4) झुंगोरा का छंछिया या छछिडू:- यह खिचड़ी की भांति ही एक उत्तराखंडी पारंपरिक भोजन है जो की बेहद ही स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसे छाछ और नमक मिर्च के साथ उबाला जाता है। तत्पश्चात बाद में तड़का लगाया जाता है। चूल्हे के आग पर बनने के साथ ही और बाद में तड़का लगाने के कारण इसका स्वाद और भी स्वादिष्ट हो जाता है।
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(5) कंडाली को साग:- पहाड़ों में पाया जाने वाला बिच्छू घास जिसे की कंडाली भी कहा जाता है पहाड़ों में इसकी सब्जी खूब खाई जाती है। यह हरी सब्जी की ही भांति बनाई जाती है मगर इसमें नुकीली कांटे होते हैं इसलिए इसे पहले धोया जाता है और तब उबाला जाता है। यहां हरी सब्जी की भांति ही बनाया जाता है और भुनी हुई काली मिर्च और मंडूवे की रोटी के साथ खाया जाता है यह शरीर के लिए बेहद ही गर्माहट देने वाली सब्जी मानी जाती है जिस कारण पहाड़ी क्षेत्रों में सर्दियों में इसका खूब सेवन किया जाता है।
(6) भट की चुटकानी:- यह गढ़वाल क्षेत्र में खाए जाने वाली एक पारंपरिक डिश है इसे काले या सफेद भट्ट से बनाया जाता है। काली या सफेद भट्ट को सबसे पहले कढ़ाई में 1 मिनट के लिए भूना जाता है। उसके बाद जब यह भून जाता है तो इसमें पानी नमक मिर्च मसाला आदि डालकर इसे कुछ देर तक पकाया जाता है।
(8) चैंसू (Chainsoo):- यह उड़द की दाल, कला भट्ट और काले चने से झटपट बनाए जाने वाला एक पौष्टिक आहार दाल है जिसके लिए सर्वप्रथम उड़द या भट्ट को सिलबट्टी में बारीक पाउडर होने तक पीसा जाता है। तत्पश्चात इसे लोहे की कढ़ाई में नमक मिर्च मसाले के साथ गाढ़ा होने तक पकाया जाता है। इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जिस कारण यह गर्मियों में सुपाच्य नहीं हो पाता अतः इस सर्दियों में खाया जाता है।
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(9) भट के डूबके:- यह उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में अधिकतर बनाए जाने वाली प्रसिद्ध ट्रेडिशनल विंटर डिश है जिसे पहाड़ों में मशहूर काला सोयाबीन जिसे की भट्ट कहा जाता है से बनाया जाता है। इसके लिए सबसे पहले काले भट को भिगोया जाता है और फिर सिलबट्टे में गाढ़ा पीसा जाता है तत्पश्चात लोहे की कढ़ाई में देसी घी और पहाड़ी मसाले के साथ गाढ़ा होने तक को उबाला जाता है। जब यह तैयार हो जाता है तो इसका सेवन चावलों के साथ किया जाता है।
(10)गहत की दाल:- सर्वप्रथम गहत को रात भर पानी में भिगोकर रख जाता है उसके बाद सुबह इसे कुकर में सिटी देकर उबाला जाता है। उसके बाद इसे लोहे की कढ़ाई में नमक मिर्च के साथ साधारण दाल जैसे ही बनाया जाता है। मगर लोहे की कढ़ाई और पहाड़ी आग में पकने के कारण यह बेहद स्वादिष्ट हो जाता है। साथ ही यह शरीर को गर्मी प्रदान करता है जिस कारण सर्दियों के मौसम में पहाड़ों में इसे अधिकतर खाया जाता है।
(11) भांग की चटनी:- इसके लिए सबसे पहले भांग को कुछ सेकेंड के लिए तवे में भूना जाता है। उसके बाद इसे नमक मिर्च मसाले के साथ सिलबट्टे में पीसा जाता है। जब यह बारीक पीस जाता है तब इसमें पानी मिलाया जाता है जिससे यह गाढ़ा हो जाता है और चटनी बनाकर तैयार हो जाती है।
(12) भट की चटनी:- यह शरीर को गर्माहट देने वाली पहाड़ों में खाई जाने वाले खास प्रकार की चटनी है जिसका स्वाद अत्यधिक स्वादिष्ट होता है। इसके लिए सबसे पहले भट्ट के कुछ दोनों को तवे में कुछ सेकेंड के लिए भूना जाता है और उसके बाद सिलबट्टे में इसे नमक मिर्च के साथ मिक्स करके पीसा जाता है और बाद में पानी मिलाकर गीला और गाढ़ा किया जाता है। इस प्रकार आप इसे ठंडियों में रोटी पराठे या माल्ट संतरे की खटाई के साथ मज़े से खा सकते हो।

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सुनील खर्कवाल लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और संपादकीय क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं।

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