Haldwani History In Hindi: चंद शासन काल के दौरान केवल एक गांव था हल्द्वानी, आज प्रदेश के बड़े शहरों में है शामिल….
Haldwani History In Hindi
कुमाऊं का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला हल्द्वानी भले ही आज प्रदेश के बड़े शहरों में शामिल हों परंतु एक समय ऐसा भी था जब इसे केवल एक गांव का दर्जा हासिल था। जी हां… कुमाऊं में चंद शासन काल के दौरान यहां पर्वतीय क्षेत्रों के पशुपालक जाड़े काटने के लिए आया करते थे। समुद्री तल से 424 मीटर ऊंचाई पर स्थित हल्द्वानी को शहर के रूप में बसाने का सारा श्रेय जॉर्ज विलियम ट्रेल को जाता है। अंग्रेजी शासन काल के दौरान तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर जॉर्ज विलियम ट्रेल ने 1834 के आसपास हल्द्वानी को शहर के रूप में बसाने का काम शुरू किया। उन्होंने भाबर में रहने वाले लोगों के लिए हल्द्वानी को मंडी के रूप में स्थापित किया। ट्रेल ने सबसे पहले अपने लिये यहां बंग्ला बनाया, जिसे आज भी “खाम का बंग्ला” कहा जाता है। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा था कि 1850 आते-आते यहां घास-फूस के अस्थायी झोपड़ों की जगह चिनाई वाले मकान दिखाई देने लगे। जिसके बाद 1860 में कमिश्नर रैमजे ने इसे तराई का तहसील मुख्यालय बना दिया। रैमजे के प्रयासों से ही यहां 1884 में रेल लाईन बिछाई गई। इस तरह कभी एक गांव के दर्जे वाला हल्द्वानी, सड़क और रेल मार्ग से पूरी तरह जुड़ गया।
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बात हल्द्वानी के नाम की करें तो इतिहासकारों के मुताबिक उस समय यहां इमारती लकड़ी हल्दू के पेड़ बहुतायत मात्रा में पाये जाते थे। जिस कारण इसे हल्दूवनी के नाम से जाना जाता था। जो धीरे-धीरे हल्दूआनी के नाम से प्रचलन में आने लगा और फिर हल्द्वानी के नाम से मशहूर हो गया। सन 1882 में रैमजे ने पहली बार नैनीताल से काठगोदाम तक एक सड़क का निर्माण करवाया। जिसके उपरांत सन 1884 में काठगोदाम तक रेल लाईन पहुंचने के बाद 1885 में टाउन एरिया कमिटी, 1897 में नगर पालिका का दर्जा हासिल हुआ। जिसके बाद 1899 में यहां तहसील कार्यालय खोला गया। जिसमें 4 कस्बों और 511 गांव शामिल थे। उस दौरान 1,297 वर्ग मीटर में फैले इस तहसील मुख्यालय की कुऐजनसंख्या 93,445 थी। सन 1907 में हल्द्वानी को शहर क्षेत्र का दर्जा मिला। जिसके बाद, 1937 में यहां नागरिक चिकित्सालय खोला गया तथा 21 सितंबर 1942 को हल्द्वानी-काठगोदाम नगर परिषद की स्थापना की गई। 22 मई 2011 को हल्द्वानी नगर पालिका को नगर निगम बना दिया गया। आज हल्द्वानी शहर प्रदेश के बड़े शहरों में शामिल हैं। यहां यहां कुमाऊं मंडल के सभी प्रमुख सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल हैं, इतना ही नहीं आज इसे कुमाऊं मंडल की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। अब यह एजुकेशन हब में भी तब्दील हो गया है यहां सभी विषयों के स्कूल, कॉलेज और उच्च शिक्षा संस्थान हैं।
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