Ajay Bhatt biography hindi: परिवार की आजीविका चलाने के लिए चलाई चाय, सब्जी और चूड़ी बिंदी की दुकान, कभी थे मुख्यमंत्री पद के दावेदार…
Ajay Bhatt biography hindi
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सियासी बिसातें बिछने लगी है। बीते रोज भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए देश की 195 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। बता दें कि भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की इस लिस्ट में उत्तराखण्ड की तीन लोकसभा सीटों के लिए भी प्रत्याशियों का ऐलान किया गया है। बात अगर नैनीताल ऊधम सिंह नगर संसदीय सीट की करें तो वर्ष 2009 में अस्तित्व में आए इस लोकसभा क्षेत्र पर भाजपा ने वर्तमान सांसद अजय भट्ट पर ही भरोसा जताया है। आज हम आपको इस संसदीय सीट से वर्तमान सांसद एवं लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा उम्मीदवार अजय भट्ट से ही रूबरू कराने जा रहे हैं। आज भले ही अजय भट्ट केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हों और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जैसे कद्दावर नेता को सियासी पटखनी दे चुके हों परंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि अजय अपना पहला ही चुनाव लाटरी के जरिए हार गए थे।
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रहने वाले हैं अजय, पेशे से है वकील:-
बता दें कि मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र के ढंकाल गांव के रहने वाले अजय भट्ट का जन्म 1 मई 1961 को कमलापति भट्ट एवं तुलसी देवी के घर हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आगर (द्वाराहाट) से प्राप्त करने के उपरांत हाईस्कूल की परीक्षा पिथौरागढ़ से तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा रानीखेत से उत्तीर्ण की। जिसके उपरांत उन्होंने स्नातक व विधि (वकालत ) की शिक्षा अल्मोड़ा से प्राप्त की। अल्मोड़ा कॉलेज (उत्तराखंड रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी) से बी.ए एलएलबी का पाँच वर्षीय स्नातक कोर्स किया। इसी दौरान उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पहले उनके पिता कमलापति भट्ट का देहांत हो गया और इसके कुछ ही समय बाद उनके दो और भाइयों का भी निधन हो गया। परिवार की इन विषम परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बड़े भाई के साथ मिलकर पूरे परिवार को संभालने का काम किया। कम उम्र में पिता का निधन होने पर परिवार की आजीविका चलाने के लिए उन्होंने मेलों में दुकानें लगाई। द्वाराहाट में सब्जी की दुकान चलाई। यहां तक कि उन्होंने दूनागिरी मंदिर में चूड़ी बिंदी के साथ ही चाय भी बेचीं। वर्ष 1986 में उन्होंने पुष्पा भट्ट से विवाह किया। बताते चलें कि उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। उनकी पत्नी पुष्पा भट्ट एक पूर्व जज है और वर्तमान में नैनीताल हाई कोर्ट में वकालत करती हैं। अजय खुद भी काफी समय तक वकालत कर कई जनहित याचिकाओं में पैरवी कर चुके हैं।
1985 में शुरू हुआ राजनीतिक सफर, लाटरी से हार गए थे पहला चुनाव:-
बात अजय भट्ट के राजनीतिक कैरियर की करें तो छात्र जीवन के दौरान ही वर्ष 1985 में उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा ज्वाइन किया। उनकी कड़ी मेहनत एवं लगन को देखते हुए इसी वर्ष उन्हें तत्कालीन उत्तर प्रदेश के प्रदेश नेतृत्व द्वारा कार्यकारणी का सदस्य भी बना दिया। आगे चलकर उन्होंने रानीखेत और भिक्यासैंण तहसील समन्वयक के तौर पर काम किया और अल्मोड़ा ज़िले के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। जिसके उपरांत उत्तराखण्ड पृथक राज्य आंदोलन के दौरान भी उन्होंने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और उत्तरांचल संघर्ष समिति के वह अग्रणी सदस्य रहे। आज भले ही अजय राजनीति के शिखर पर आसीन हो और भारतीय जनता पार्टी के सफल नेताओं में शुमार हो परन्तु उनका राजनीतिक कैरियर भी पहली बार हार और सियासी ड्रामे के साथ शुरू हुआ था। वर्ष 1989 में जब पहली बार उन्होंने नगर पंचायत द्वाराहाट में पार्टी के ही वरिष्ठ नेता प्यारे लाल साह के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा तो दोनों ही उम्मीदवारों को बराबर वोट मिले, जिस पर हार जीत का फैसला लॉटरी के जरिए हुआ, जिसने उनकी जीत को हार में तब्दील कर दिया। अजय भले ही यह चुनाव हार गए परन्तु इसी चुनाव ने उन्हें राजनीतिक एवं मानसिक रूप से मजबूत कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को करारी शिकस्त देकर पहुंचे लोकसभा, एक बार फिर पार्टी ने जताया उन पर भरोसा:-
उत्तराखण्ड पृथक राज्य आंदोलन के दौरान ही वह अल्मोड़ा जिले के रानीखेत क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले अजय ने यही से आगे कदम बढ़ाने का फैसला किया। वर्ष 1996 में वह पहली बार विधायक चुन कर उप्र विधानसभा पहुंचे और वर्ष 2007 तक विधायक रहे। इसके उपरांत उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाली। बतौर प्रदेश अध्यक्ष वर्ष 2017 में उन पर उत्तराखंड को भगवामय करने की जिम्मेदारी भाजपा हाईकमान ने सौंपी थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और पार्टी को विधानसभा की 57 सीटें दिलाई हालांकि प्रचंड मोदी लहर के बावजूद वह वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महरा से चुनाव हार गए परन्तु पार्टी को उत्तराखंड की सत्ता तक पहुंचाने में वह कामयाब रहे। उस दौरान वह उत्तराखंड मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार भी थे। भले ही वह चुनाव हार गए परन्तु भाजपा के राजनीतिक गलियारों में उनका कद और भी अधिक बढ़ गया। पार्टी ने उनकी इसी वफादारी, कर्तव्यनिष्ठा का ईनाम वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में नैनीताल उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। जिसमें भी वह सफल हुए और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को 3,39,096 वोटों के भारी अंतर से हराया। जिसके बाद मोदी सरकार 2.0 में उन्हें केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई।
बतौर सांसद यह रही महत्वपूर्ण उपलब्धियां:-
- 1) काठगोदाम नैनीताल रोपवे की स्वीकृति
- 2) हल्द्वानी नैनीताल मार्ग को डबल लेन बनवाने की स्वीकृति
- 3) रामगढ़ में रवींद्रनाथ टैगोर के विश्व भारती विवि के कैंपस की स्थापना की स्वीकृति।
- 4) 28 वर्षों से लंबित जमरानी बांध की स्वीकृति।
- 5) नैनीताल, भवाली में पार्किंग निर्माण की स्वीकृति
- 6) सुशीला तिवारी अस्पताल में कैथ लैब की स्वीकृति
- 7) काठगोदाम अमृतसर ट्रेन संचालन की स्वीकृति
- 8) हल्द्वानी में केरल की तर्ज पर आयुर्वेदिक अस्पताल संचालन की स्वीकृति
- 9) दो सौ करोड़ से बलियानाले के उपचार,
- 10) खैरना पुल निर्माण,
- 11) कुमाऊं में एम्स के सैटेलाइट सेंटर,
- 12) इसके साथ ही बतौर सांसद उन्होंने हर घर नल योजना सहित दर्जनों कार्यों को स्वीकृत करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।