Prahlad Mehra Biography Hindi: पहाड़ की लोक संस्कृति को हमेशा अपने गीतों में संजोए रखा प्रहलाद दा ने
Prahlad Mehra Biography Hindi: उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध और वरिष्ठ लोक गायक प्रहलाद मेहरा अब हमारे बीच नही रहे लेकिन उन्होंने सभी उत्तराखंड के लोगों के दिलों मे अपने गीतों के जरिए अपनी विशेष जगह बनाई हैं| उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से पहाड़ की लोक संस्कृति और परंपरा को हमेशा ही संजोए रखा। आज हर कोई उन्हें उनके सरल व्यक्तित्व और उनके गीतों के जरिए याद करता है| प्रहलाद मेहरा कुमाऊं के प्रसिद्ध लोक गायक थे लेकिन गढ़वाल के लोगों द्वारा भी इन्हे भरपूर प्रेम दिया जाता था प्रहलाद मेहरा लगातार कुमाऊं की संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे और सभी युवाओं और युवतियों को अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के प्रति प्रेरित कर रहे थे वो भले ही आज जीवीत ना हो लेकिन सभी के दिलों मे आज भी जिंदा हैं और हमेशा ही रहेंगे उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता क्योकि वह सभी के लिए प्रेरणा थे|
Prahlad Mehra Biography:प्रहलाद मेहरा लोक गायक के बारे मे जानिए –
प्रहलाद मेहरा का जन्म 4 जनवरी 1971 को पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील चामी भेंसकोट के एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हेम सिंह है वह शिक्षक रह चुके हैं, उनकी माता का नाम लाली देवी है। प्रहलाद मेहरा को बचपन से ही गाने और बजाने का शौक रहा था, और इसी शौक को प्रहलाद ने अपना व्यवसाय बना लिया था। वह स्वर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी से प्रभावित होकर उत्तराखंड के संगीत जगत में आए थे और साल 1989 में अल्मोड़ा आकाशवाणी में उन्होंने स्वर परीक्षा पास की थी | वर्तमान में प्रहलाद मेहरा अल्मोड़ा आकाशवाणी में A श्रेणी के गायक बन चुके थे।
Prahlad Mehra song’s: प्रहलाद मेहरा के सुपर हिट गाने जिनमे छलकता हैं पहाड़ का दर्द
प्रहलाद मेहरा 150 गीतों मे अपनी आवाज दे चुके है और ये सभी गीत उनके हिट रहे है, उन्होंने ऐसे गाने भी गाए है जो हमारी जल ,जंगल , जमीन से जुड़े हुए है और हमारी संस्कृति से भी जुड़े है| उन्होंने “पहाड़ै की चेली ले नी खाया द्वी रवाटा सुखै ले” गाने के माध्यम से पहाड़ और पहाड़ की महिलाओ का दर्द भी अपने गीतों के जरिये बयां किया है| हिमालय बन्चु छु, म्यार पहाड़ मां ,ईजा मेरा दान पुरा जैसे सुपर हीट गाने गाए हैं | प्रहलाद मेहरा की कई गायकी कारियों में ‘बगुला भगत’ और ‘जागर बाबा’ जैसे प्रसिद्ध गाने हैं, जो कुमाऊं की पीड़ा और जीवन के अनुभवों पर आधारित हैं। उनके कुछ और प्रसिद्ध गानों में “मेरा पहाड़” और “पहाड़ों की माता” शामिल हैं, जो कुमाऊं के साहस, सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत को स्तुति करते हैं।