pahadi namak Pisyu loon recipe: कभी गरीबों की साग सब्जी का काम करता था यह नमक, आज देश विदेश में हों रही हैं भारी मांग , संवार रहा महिलाओं की आर्थिकी….
pahadi namak Pisyu loon recipe
उत्तराखण्ड की हसीन वादियों की तरह ही यहां का खान-पान भी स्वाद में लाजबाव होने के साथ ही सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होता है। वैसे तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बनाए जाने वाले सभी स्थानीय व्यंजनों में कुछ ना कुछ गुण छुपे ही रहते हैं परंतु आज हम आपको यहां के पहाड़ी नमक के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने बेमिसाल स्वाद एवं औषधिय गुणों के कारण वर्तमान में स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम बन रहा है। आपने काले नमक, सेंधा नमक या आयोडीन युक्त सफेद नमक के बारे में तो सुना ही होगा परन्तु पहाड़ों में इसके अतिरिक्त एक विशेष प्रकार का नमक भी बनाया जाता है। सिलबट्टे में पीसकर बनाए जाने इस नमक को हरा नमक, पिस्यू लूणं आदि नामों से जाना जाता है। अपने स्वाद के कारण राज्य के मैदानी क्षेत्रों के साथ ही अब यह स्वदेश ही नही बल्कि विदेशों में भी धूम मचा रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहाड़ के इस पिस्यूं लूणं को स्वरोजगार का जरिया बनाने वाली नमकवाली शशि बहुगुणा रतूड़ी ने हाल ही में सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शार्क टैंक इंडिया कार्यक्रम में प्रतिभाग कर निर्णायकों के साथ ही दर्शकों का भी दिल जीत लिया था।
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आपको बता दें कि देश विदेशों में पाए जाने वाले अन्य सभी नमकों से अलग यह पहाड़ी “पिस्यूं लूण” एक प्रकार का ऐसा नमक है जिसे सिलबट्टे में पीसकर तैयार किया जाता हैl यह स्वाद में अत्यंत स्वादिष्ट होता है। इसके स्वाद एवं औषधिय गुणों को और भी अधिक बढ़ाने के लिए इसमें कई अन्य चीजों का समावेश भी किया जाता है जैसे लहसुन, हींग, जीरा, अदरक , तिल, धनिया, भुनी मिर्च काला जीरा, भांग आदि। इन चीजों के प्रयोग के हिसाब से इसे अलग-अलग फ्लेवर वाले नामों से जाना जाता है , जैसे अदरक लहसुन भांग और मिक्स फ्लेवर तथा लहसुन की काली का हरा नमक, तिल का नमक, सरसों का काला नमक, तिल का नमक, भुने हुए मसालों का नमक, आदि। पहाड़ में बनाए जाने वाले सामान्य पिस्यूं लूणं की बात करें तो इसे केवल हरा धनिया, हरी मिर्च, तथा नमक को पीसकर बनाया जा सकता है। इस नमक को रोटी से लेकर कोई भी कच्चे फ्रूट, चार्ट, फ्रूट चार्ट, खीरा, सलाद या किसी भी प्रकार का चाट मसाला के रूप में इसका सेवन किया जा सकता है। सबसे खास बात तो यह है कि इसके प्रयोग से सभी व्यंजनों का स्वाद दोगुना हो जाता है।
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बात इसके इतिहास की करें तो इस बात की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है कि इसका प्रयोग कब से शुरू किया गया था। परंतु नमक को इस तरह पीसने का तरीका वर्षों से चला आ रहा है। 21वीं सदी एवं डिजिटल युग होने के बावजूद इस नमक की सबसे खास बात तो यह है कि इसे मिक्सी में नहीं बल्कि हाथों से सिलबट्टे पर पीसकर बनाया जाता है, जो इसके स्वाद को कई गुना अधिक बढ़ाने का काम करता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पहले काफी ग़रीबी होती थी। उस दौरान दुकानों एवं सड़क सुविधाओं का भी पहाड़ में काफी अभाव था। जिस कारण कई बार घरों में साग सब्जी उपलब्ध नहीं हो पाती थी, इन दिनों में लोग पिसे हुए नमक से रोटी खा लिया करते थे। बेशक यह पहले तक पहाड़ के गरीब जनमानस के साग सब्जी का एक विकल्प था परंतु अपने स्वाद के कारण आज यह न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, और विदेशों में भी लोगों को अपना दिवाना बना रहा है। जिस कारण इसकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। जिससे पहाड़ में यह रोजगार का एक बड़ा जरिया बनकर सामने आ रहा है। आज पहाड़ की कई महिलाएं समूह बनाकर पहाड़ का पिसा नमक तैयार कर रही है और इसे तैयार करके पैकेट में भरकर इसे और उत्तराखंड से बाहर के शहरों में जगह-जगह बेच रही है। नैनीताल देहरादून में कई स्वयं सहायता समूहों द्वारा यह नमक देश विदेशों तक सप्लाई किया जा रहा है।
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