Ghughuti Festival Story Hindi: कुमाऊं मंडल में घुघुतिया त्योहार मनाया जाता है धूमधाम से इससे जुड़ी कहानी है बेहद खास
Ghughuti Festival Story Hindi: मकर संक्रांति पर्व को उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में घुघुतिया त्योहार के रूप में मनाया जाता है। दरअसल घुघुत एक पकवान है जो आटे और गुड़ के घोल से बनाया जाता है। इस त्यौहार का मुख्य आकर्षण होते हैं बच्चे और कौवे।
बच्चे इस दिन घुघुत की माला पहनकर कौवे को कुछ इस तरह बुलाते हैं:
काले कौवा काले घुघुति माला खाले…
ले कौवा बाड मिके दे सुनो घोड़..
ले कौवा ढाल मिके दे सुनो थाल..
अर्थात: काले काले कौवे यह घुघुत की हार को खा ले….
काले कौवे मेरा बड़ा खाले और बदले में मुझे एक सोने का घड़ा दे जा…
कौवे मेरा घुघुत का बना ढाल ले जा और मुझे एक सोने की थाली दे जा..
घुघति पर्व से जुड़ी प्रचलित कथा के अनुसार, जब कुमाऊं में चंद वंशज राज करते थे तब राजा कल्याण चंद शासक हुआ करतें थे राजा की कोई संतान नहीं थी जिसके चलते वे बेहद दुःखी रहते थे। एक बार राजा कल्याण चंद अपनी रानी के साथ बागेश्वर जिले में स्थित बागनाथ मंदिर गए और वहां पूजा पाठ करवाया जिसके पश्चात उन्हें पुत्र रत्न प्राप्ति हुई। राजा ने बेटे का नाम घुघुती रखा। घुघुती अपने गले में हमेशा एक माला पहन के रहता था, जिसमें बंधे हुए घुंघरू आवाज करते थे। जब भी घुघुती कोई शैतानी करता या किसी बात पर जिद करता, तो उसकी मां कहती “काले कौआ काले, घुघुती की माला खाले”। जिससे घर के मारे घुघुती हमेशा अपनी मां का कहना मानता था। ऐसे में कुछ ही दिनों बाद घुघुती कीo कौओं से अच्छी खासी दोस्ती हो गई।
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कहते हैं एक दिन जब घुघुती आंगन में खेल रहा था, तब राजा के एक मंत्री ने पूरा राज-पाठ हड़पने के लिए घुघति का अपहरण कर लिया। अपहरण कर जब वह उसे जंगल की ओर ले जा रहा था, तब कौओं के समूह ने उसे देख लिया और मंत्री को घेर लिया। एक कौए ने घुघुति के गले से माला निकाली और सीधे राजा के पास गया। जिससे राजा समझ गया कि घुघुती खतरे में है राजा ने तुरंत उस कौए का पीछा किया और उसके पीछे -पीछे चल पड़े। इस बीच अचानक जंगल में मंत्री और घुघुती को एक साथ देख लिया। जिसके बाद राजा ने उस मंत्री को मृत्युदंड देने की घोषणा कर दी। इसके बाद घुघुती की मां ने पकवान बनाकर कौओं को खिलाया और उनका धन्यवाद अदा किया। तब से कुमाऊं मंडल में घुघुती त्योहार पर बच्चों के गले में घुघुती की माला पहनाने और कौओं को घुघुती बनाकर खिलाने की प्रथा चली आ रही है।
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