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Pithoragarh Naini Saini Airport: कब आया पिथोरागढ़ का नैनी सैनी हवाई अड्डा अस्तित्व में

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Pithoragarh Naini Saini Airport: कब आया पिथोरागढ़ का नैनी सैनी हवाई अड्डा अस्तित्व में

Pithoragarh Naini Saini Airport: 1991 में शुरू हुआ था नैनी सैनी हवाई पट्टी का निर्माण, 1994 में बनकर हुई थी तैयार, अब 2024 में फिर से उड़ान भरने लगे विमान….

Pithoragarh Naini Saini Airport
मिनी कश्मीर के नाम से मशहूर उत्तराखंड का सीमांत जिला पिथौरागढ़ वाकई खूबसूरत है। हरे भरे पेड़ों एवं सम्मुख दिखती हिमाच्छादित पंचाचुली की चोटी इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगाने का काम करती है। पिथौरागढ़ में वैसे तो एक से बढ़कर एक खूबसूरत जगहें हैं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है। परंतु आज हम आपको पिथौरागढ़ में स्थित उस समतल भूमि के इतिहास से रूबरू कराने जा रहे हैं जो कभी विभिन्न फसलों से लहलहाती नजर आती थी। जी हां… बात हो रही है वर्तमान में क्षेत्रीय मिडिया की सुर्खियों का हिस्सा बनी नैनीसैनी हवाई पट्टी की, जहां से बीते दिनों ही देश की राजधानी दिल्ली के लिए भी विमान उड़ान भरने लगे हैं। आपको बता दें कि नैनीसैनी गांव में स्थित यह हवाई अड्डा पिथौरागढ़ शहर के केंद्र से 4.5 किमी (2.8 मील) उत्तर-पूर्व में में स्थित है। भले ही 2024 में यहां से हवाई सेवाएं शुरू हो रही हों परंतु इसका इतिहास इतना पुराना है कि स्थानीय लोग इसे चुनावी पट्टी के नाम से भी पुकारते हैं क्योंकि पिथौरागढ़ जिले में होने वाला कोई भी चुनाव नैनीसैनी हवाई अड्डे की जिक्र किए बिना संपन्न नहीं होता। बीते कई दशकों से विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनावों में विभिन्न पार्टियों ने इस हवाई पट्टी के नाम पर अनेक वादे करके जनता से वोट मांगे हैं।
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बात राज्य के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में स्थित नैनीसैनी हवाई अड्डे के इतिहास की करें तो पृथक राज्य उत्तराखंड का हिस्सा बनने से पहले यह उत्तर प्रदेश राज्य में अवस्थित था। वर्ष 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस हवाई अड्डे का निर्माण कार्य शुरू कराया था, जिसके भूमि अधिग्रहण में जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी अनूप पांडे, जो मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के काफी खास सिपहसालारों में से एक थे, ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने लम्बे समय तक स्थानीय लोगों से बातचीत, तमाम तरह के प्रलोभन, प्रशासनिक दबाव, विकास की सुनहरी सोच एवं पूरी सोर घाटी का कायाकल्प जैसे प्रलोभन देकर इस हवाई पट्टी के निर्माण की रूपरेखा तैयार की थी। बता दें कि यह जमीन सरकार को लोगों द्वारा ऐसे ही मुहैय्या नहीं कराई गई थी बल्कि इसके विरोध में स्थानीय लोगों ने अपने स्वरों को बुलंद किया था। इतना ही नहीं स्कूल कॉलेज के लड़कों ने भी इसके विरोध में अपनी आवाज इतनी बुलंद की थी कि उनका यह विरोध अखबार की खबरों का हिस्सा बनने लगा था। विरोध होता भी क्यों ना नैनी-सैनी सेरे में उन दिनों धान की फसल लहलहाती थी। इस गांव की जमीन बढ़िया सिंचित थी। परंतु सरकार साहब के आगे भला किसकी चल पाई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा दिखाए गए सुनहरे भविष्य के सपनों और उनके सिपहसालार अफसरों की अंग्रेजी के आगे जनता नतमस्तक हो गई और यह जमीन राज्य सरकार के नाम हो गई। हालांकि इसके लिए सरकार को लोगों को उनकी मुंहमांगी कीमत भी अदा करनी पड़ी।
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यह तो हुई भूमि अधिग्रहण की बात, इसके बाद इस हवाई पट्टी का निर्माण होने लगा और वर्ष 1994 में यह डोर्नियर 228 सॉर्ट फ़्लाइंग मशीन के संचालन के लिए तैयार हो गई थी। जिसका उद्घाटन सीएम मुलायम सिंह यादव, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गुलाम नवी आजाद ने किया था परंतु वर्ष 1994 से वर्ष 2024 तक का इसका सफर भी बेहद कष्टदाई एवं नेताओं के चुनावी वादों से ओतप्रोत है। जिसके दुर्भाग्य का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस हवाई अड्डे से वर्ष 2024 में भले ही हवाई सेवा संचालित हो गई हों इससे पूर्व विभिन्न चुनावों में इन विमानों ने नेताओं की जुबां से कोरी उड़ान भरी है। जिसका अंदाजा क‌ई बार मिडिया की सुर्खियों बने इन शीर्षकों से लगाया जा सकता है ‘नैनीसैनी एयरपोर्ट से फिर उड़ान भरेंगे विमान ‘। इन 30 वर्षों में भले ही नैनीसैनी हवाई पट्टी का उद्घाटन वर्ष 1991 में एक ही बार किया गया हों परंतु यहां से शुरू होने वाले विमानों को क‌ई बार हरी झंडी दिखाई गई परंतु फिर भी यह विमान हवा में उड़ान ना भर सकें और इससे पहले कि पर्यटक इन विमानों के जरिए सीमांत जिले तक आ पहुंचते पूरी हवाई सेवा ने ही जमीन पर गोता लगा लिया। कारण भले ही जो भी रहें हों परंतु यहां के वाशिंदों को सरकार और जनप्रतिनिधियों द्वारा बार-बार सुनहरे भविष्य के सपने दिखाकर खूब वोट बटोरने के साथ ही वाहवाही भी बटोरी।
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बता दें कि इस हवाई पट्टी से क‌ई बार हवाई सेवाओं का संचालन शुरू किया गया। वर्ष 2019 में सबसे ज्यादा समय तक इस हवाई अड्डे से हवाई सेवा का संचालन हुआ था। यहां तक कि विमानों ने दिल्ली और देहरादून के लिए उड़ान भरी थी। उस दौरान नौ सीटों वाले विमान फरवरी 2019 में यात्रियों को लेकर रवाना हुआ था। लेकिन तकनीकी कारणों से जनवरी 2020 में इसका परिचालन बंद कर दिया गया। जिसके बाद फरवरी 2023 में, हवाई अड्डे को भारतीय वायु सेना को हस्तांतरित कर दिया गया। तत्पश्चात भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को इस हवाई अड्डे के विकास, संचालन एवं प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया था। एएआई द्वारा हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के बाद लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बीते 30 जनवरी 2024 को राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर यहां से देहरादून के लिए संचालित होने वाले विमान को हरी झंडी दिखाई। जिसके बाद बीते रोज ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली के लिए भी हवाई सेवा का औपचारिक शुभारंभ करते हुए 42 सीटर विमान को रवाना किया। उम्मीद है कि इस बार यह हवाई सेवा नियमित हो पाएगी। वैसे भी पिथौरागढ़ वासियों की अब एक ही चिंता है कि यह उड़ान इस बार भी केवल चुनावों तक ही सीमित न रह जाए।

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सुनील खर्कवाल लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और संपादकीय क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं।

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