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Harsh Chauhan Leftinent Pauri Garhwal IMA dehradun: पौड़ी गढ़वाल के हर्ष चौहान बने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट

Harsh Chauhan Leftinent Pauri Garhwal IMA dehradun
लेफ्टिनेंट हर्ष चौहान, फोटो - सोशल मीडिया

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उत्तराखंड

Harsh Chauhan Leftinent Pauri Garhwal IMA dehradun: पौड़ी गढ़वाल के हर्ष चौहान बने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट

Harsh Chauhan IMA DEHRADUN: हर्ष के सिर से बचपन में ही उठ गया था पिता का साया, शिक्षिका मां ने ही निभाई हर जिम्मेदारी, अब आईएमए देहरादून से पास आउट होकर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हर्ष चौहान…

Harsh Chauhan IMA DEHRADUN
शनिवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए में आयोजित हुई पासिंग आउट परेड के दौरान 355 जेंटलमैन कैडेट्स अंतिम पगबाधा पार कर भारतीय सेना का अभिन्न अंग बन गए। बात उत्तराखंड की करें तो हमेशा की तरह इस बार भी उत्तराखंड के क‌ई युवा बतौर सैन्य अधिकारी, भारतीय सेना में सम्मिलित हो ग‌ए है। जिनमें मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल क्षेत्र के डांगी गांव निवासी हर्ष चौहान भी शामिल हैं। बता दें कि हर्ष का परिवार वर्तमान में लैंसडाउन क्षेत्र में रहता है। हर्ष ने यह अभूतपूर्व उपलब्धि परिवार की विषम परिस्थितियों से जूझते हुए हासिल की है। छोटी उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ जाने के बावजूद हर्ष ने अपना हौसला नहीं खोया बल्कि खुद को संभालते हुए यह मुकाम हासिल किया है। हर्ष की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उनके घर पर भी बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
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Harsh Chauhan Leftinent Pauri Garhwal
बता दें कि एक शिक्षक परिवार से ताल्लुक रखने वाले हर्ष ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा कॉन्वेंट स्कूल लैंसडाउन से प्राप्त करने के उपरांत एमडीएस विद्यालय ऋषिकेश से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। जिसके उपरांत उनका चयन एनडीए में हो गया। जहां से चार वर्ष का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर वह आज भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। आपको बताते चलें कि हर्ष के दादा स्वर्गीय डॉ रणवीर सिंह चौहान ने साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी थी। वही उनके परदादा हरी शाह, लैंसडाउन क्षेत्र के प्रसिद्ध स्वर्णकार हुआ करते थे। बात उनके स्वगीर्य पिता अतुल चौहान की करें तो वह एक शिक्षक थे और हर्ष के बचपन के दिनों में ही उनका निधन हो गया था। जिसके बाद हर्ष की सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन उनकी मां रीना चौहान ने किया। अपने संघर्षों से जूझते हुए हर्ष ने बचपन में ही बड़े होकर भारतीय सेना में अफसर बनने का जो सपना देखा था, उसे अपनी कड़ी मेहनत एवं लगन से उन्होंने साकार कर दिखाया। उनके इस सफर में कदम से कदम मिलाकर चलने वाली उनकी मां रीना भी एक शिक्षिका हैं और वर्तमान में राजकीय प्राथमिक विद्यालय गुमखाल में कार्यरत है।

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सुनील खर्कवाल लंबे समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और संपादकीय क्षेत्र में अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं।

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